Madhu varma

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लेखनी कविता - साधो ये मुरदों का गांव

साधो ये मुरदों का गांव


पीर मरे पैगम्बर मरिहैं

मरि हैं जिन्दा जोगी

राजा मरिहैं परजा मरिहै

मरिहैं बैद और रोगी

चंदा मरिहै सूरज मरिहै

मरिहैं धरणि आकासा

चौदां भुवन के चौधरी मरिहैं

इन्हूं की का आसा

नौहूं मरिहैं दसहूं मरिहैं

मरि हैं सहज अठ्ठासी

तैंतीस कोट देवता मरि हैं

बड़ी काल की बाजी

नाम अनाम अनंत रहत है

दूजा तत्व न होइ

कहत कबीर सुनो भाई साधो

भटक मरो ना कोई

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